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Showing posts from April, 2018

गिरीश शर्मा " सफलता की कहानी "

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जिनके अंदर सफल होने की हसरत हो और संघर्ष का हौसला जीवन में कभी भी कुछ भी उनके लिए असंभव नहीं रहता ऐसी ही एक कहानी गिरीश शर्मा की है बचपन में ही अपना एक पैर गवाने के बाद भी उन्हें कभी अपने आप को कमजोर लाचार नहीं समझा और हमेशा सामान्य आदमी की तरह अपने जीवन को जीने का प्रयास किया और उसमें सफलता भी पाई है। आज उन्हीं की कहानी सफलता की कहानी आइए पढ़ते हैं । गिरीश शर्मा " सफलता की कहानी " कहते हैं :- कदम निरंतर चलते जिनके, श्रम जिनका अविराम है। विजय सुनिश्चित होती उनकी, घोषित यह परिणाम है। यह पंक्तियां गिरीश शर्मा के ऊपर पूर्ण रुप से लागू होती है आपने बचपन से ही निरंतर अथक मेहनत कि और संघर्षपूर्ण जीवन से वह सफलता हासिल की जो आज एक सामान्य आदमी भी नहीं कर सकता है। इंसान जिंदगी में कुछ अच्छा करना चाहता है,सफलता पाना चाहता है लेकिन सफलता ना पाने के पीछे उसका कोई ना कोई बहाना होता है हर एक इंसान के अंदर कोई ना कोई कमजोरी होती है और वही कमजोरी उसके बहाने का रुप ले लेती है.आज मैं आपको जिस इंसान के बारे में बताने वाला हूं उसके बारे में जानकर आप हैरत में पड़ जाएंगे क्योंकि उनके पास एक

हेलन केलर " सफलता की कहानी "

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कहते हैं जब सारे  दरवाजे बंद हो जाते हैं तो भगवान एक खिड़की खोल देता है , लेकिन अक्सर हम बंद हुए दरवाजे की ओर इतनी देर तक देखते रह जाते हैं कि खुली हुई खिड़की की ओर हमारी दृष्टी भी नही जाती। ऐसी परिस्थिति में जो अपनी दृण इच्छाशक्ति से असंभव को संभव बना देते हैं, वो अमर हो जाते हैं।दृण संकल्प वह महान शक्ति है जो मानव की आंतरिक शक्तियों को विकसित कर प्रगति पथ पर सफलता की इबारत लिखती है। मनुष्य के मजबूत इरादे दृष्टीदोष, मूक तथा बधिरता को भी परास्त कर देते हैं। अनगिनत लोगों की प्रेरणा स्रोत, नारी जाति का गौरव मिस हेलेन केलर शरीर से अपंग पर मन से समर्थ महिला थीं। उनकी दृण इच्छा शक्ति ने दृष्टीबाधिता, मूक तथा बधिरता को पराजित कर नई प्रेरणा शक्ति को जन्म दिया। हेलन केलर " सफलता की कहानी " 27 जून 1880 को जन्म लेने वाली ये बालिका 6 महिने में घुटनो चलने लगी और एक वर्ष की होने पर बोलने लगी। जब 19 माह की हुईं तो एक साधारण से ज्वर ने हँसती-खेलती जिंदगी को ग्रहण लगा दिया। ज्वर तो ठीक हो गया किन्तु उसने हेलन केलर को दृष्टीहीन तथा बधिर बना दिया। सुन न सकने की स्थिती में बोलना भी असंभव ह

दिव्यांग कर्मचारियो को वृत्तिकर से छूट

दिव्यांग कर्मचारियो को वृत्तिकर से छूट - रायसेन | 22-अप्रैल-2018      राज्य शासन द्वारा शासकीय सेवा में नियुक्त शारीरिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों को वृत्तिकर से छूट संबंधी प्रमाण पत्र जारी करने हेतु कार्यालय प्रमुख को निर्देशित किया है कि वे अपने कार्यालय में कार्यरत द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के दिव्यांग शासकीय सेवकों को वृत्तिकर से छूट संबंधी प्रमाण पत्र जारी करे, जिससे दिव्यांग कर्मचारी को वृत्तिकर से छूट संबंधी प्रमाण पत्र जारी किया जा सके

श्रीकांत बोला "सफलता की कहानी

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श्रीकांत बोला "सफलता की कहानी " हौसला हो तो क्या नहीं पाया जा सकता। इंसान में सच्ची प्रतिभा होनी चाहिए, बस फिर कोई भी कठिनाई उसका रास्ता या उसके बुलंद हौसलों को मात नहीं दे सकती। यहां हम बात कर रहे हैं एक ऐसे शख्स की, जिसने अपने जज़्बे को कायम रखा और अपनी मंज़िल को पाने का रास्ता बनाया और उसे हासिल भी किया। श्रीकांत बोला जो बचपन से ही ब्लाइंड हैं, आज 50 करोड़ रुपए की कंज्यूमर फूड पैकेजिंग कंपनी बौलेंट इंडस्ट्रीज के CEO के पद पर नियुक्त हैं। उन्होंने यह कंज्यूमर फूड पैकेजिंग कंपनी बनाकर कई लोगों के लिए एक मिसाल कायम की है। हैदराबाद के श्रीकांत बोला का बचपन कई कठिनाइयों से गुजरा। उनके परिवार की मासिक आय लगभग 1,600 रुपए थी। आपको ये जानकार हैरत होगी कि जब श्रीकांत का जन्म हुआ, तो उनके कुछ रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने श्रीकांत के माता-पिता को उनके पैदा होते ही उन्हें मार देने को कहा था। लेकिन श्रीकांत की किस्मत में कुछ और ही था। किस्मत भी उन्हीं का साथ देती है, जो खुद पर भरोसा और अपनी मेहनत से कुछ कर दिखाने का दम रखते हैंं। श्रीकांत बचपन से ही पढ़ने में तेज थे। परिवार की आर्थिक

राज्य शासन ने स्कूलों के अवकाश घोषित किये - 

राज्य शासन ने स्कूलों के अवकाश घोषित किये -  | 21-अप्रैल-2018         स्कूल शिक्षा विभाग ने समस्त शैक्षणिक संस्थाओं में वर्ष 2018-19 के अवकाश घोषित कर दिये हैं। इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग के उप सचिव ने आदेश गत दिनों जारी कर दिये हैं। आदेश के मुताबिक समस्त शैक्षणिक संस्थाओं में विद्यार्थियों के लिये ग्रीष्मकालीन अवकाश, शिक्षकों के लिये अवकाश, दशहरा, दीपावली एवं शीतकालीन अवकाश घोषित किये गये हैं। समस्त शिक्षण संस्थाओं में विद्यार्थियों के लिये ग्रीष्मकालीन अवकाश 1 मई से 14 जून तक और शिक्षकों के लिये अवकाश एक मई से 10 जून तक रहेंगे। इसी तरह दशहरा पर अवकाश 17 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक, दीपावली अवकाश 5 नवंबर से 9 नवंबर तथा 24 दिसंबर से 26 दिसंबर तक शीतकालीन अवकाश रहेंगे

दिव्यांग कर्मचारियो को वृत्तिकर से छूट

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दिव्यांग कर्मचारियो को वृत्तिकर से छूट - भोपाल | 21-अप्रैल-2018      राज्य शासन द्वारा शासकीय सेवा में नियुक्त शारीरिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों को वृत्तिकर से छूट संबंधी प्रमाण पत्र जारी करने हेतु कार्यालय प्रमुख को निर्देशित किया है कि वे अपने कार्यालय में कार्यरत द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के दिव्यांग शासकीय सेवकों को वृत्तिकर से छूट संबंधी प्रमाण पत्र जारी करे, जिससे दिव्यांग कर्मचारी को वृत्तिकर से छूट संबंधी प्रमाण पत्र जारी किया जा सके।

विल्मा रुडोल्फ " सफलता की कहानी "

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विल्मा रुडोल्फ " सफलता की कहानी " विल्मा का जन्म अमेरिका के एक गरीब परिवार में हुआ था। वह एक अश्वेत परिवार में जन्मी थीं। उस समय अश्वेत लोगों को दोयम दर्जे का इंसान माना जाता था। उनकी माँ नौकरानी का काम करती थीं। और पिता कुली का काम करते थे। बचपन में विल्मा के पैर में बहुत दर्द रहता। इलाज करने के बाद पता चला कि विल्मा को पोलियो हुआ है। उनका परिवार बहुत गरीब था। फिर भी ये माँ की हिम्मत और जज्बा ही था, जिसने विल्मा को कभी हारने नहीं दिया। अश्वेतों को उस समय सारी सहूलतें नहीं दी जाती थीं। इसी कारण विल्मा की माँ को उसके इलाज के लिए 50मील दूर ऐसे अस्पताल में ले जाना पड़ता था, जहाँ अश्वेतों का इलाज किया जाता था। वो सप्ताह में एक दिन अस्पताल जाती थीं। और बाकी के दिन घर पर ही इलाज होता था। पांच साल के इलाज के बाद विल्मा कि हालत में कुछ कुछ सुधार होने लगा। धीरे-धीरे विल्मा केलिपर्स के सहारे चलने लगी। विल्मा का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने विल्मा कि माँ को जवाब दे दिया, कि अब विल्मा कभी बिना सहारे के नहीं चल पाएगी। पर कहते हैं न, कि जब मन में ठान ली जाये तो चट्टानों को भी गिरा

निःशक्त व्यक्तियों को विशेष साधन/उपकरण प्रदान योजना एवं शल्यक्रिया उपचार सहायता   

निःशक्त व्यक्तियों को विशेष साधन/उपकरण प्रदान योजना एवं शल्यक्रिया उपचार सहायता    निःशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार, संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 की धारा 42 में निःशक्त व्यक्तियों को सहायक यंत्र और उपकरण उपलब्ध कराने का प्रावधान है। अतः निःशक्त व्यक्ति की पहचान कर उनकी शल्य चिकित्सा, कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरण आदि उपलब्ध कराने के उद्देश्य से निःशक्त व्यक्ति जिन्हें अपना कार्य करने के लिये विशेष साधन/उपकरण की आवश्यकता हो, को चिकित्सक की अनुशंसा के आधार पर कृत्रिम अंग/सहायक उपकरण उनकी कार्यक्षमता बढाये जाने के उद्देश्य से निःषुल्क उपलब्ध कराये जाते है। जिसमें ट्राईसाइकिल, बैसाखी, कैलीपर्स, व्हीलचेयर एवं श्रवण यंत्र आदि है। पात्रता के मापदण्ड o म.प्र. का निवासी हो। o 40 प्रतिशत या अधिक निःशक्तता हो। o चिकित्सक की अनुशंसा। o स्पर्श पोर्टल पर नाम अंकित हो। आवेदन के साथ संलग्न होने वाले प्रमाण पत्र o आवेदन के साथ निःशक्तता दर्शाता हुआ फोटो। o निःशक्तता प्रमाण पत्र (40 प्रतिशत या अधिक ) o निवास प्रमाण पत्र। o आय प्रमाण पत्र। पदाविहित अधिकारी - जिला कलेक्टर संपर्क

निःशक्त व्यक्तियों के लिए सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना

निःशक्त व्यक्तियों के लिए सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना योजना कब से प्रारंभ की गई 8 अगस्त 2008 योजना का स्वरूप  निःशक्त अभ्यार्थियों के लिए सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त करने हेतु प्रोत्साहन के लिए 'सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना 2008' प्रारंभ की गई है। पात्रता के मापदंड  o मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग एवं संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा उत्तीर्ण करने पर। o 40 प्रतिशत से या अधिक निःशक्तता का प्रमाण पत्र। o स्पर्श पोर्टल पर नाम अंकित हो। सहायता  प्रारम्भिक परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर रूपये 20,000/-मुख्य परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर रूपये 30,000/- तथा अंतिम चयन होने पर रूपये 20,000/- प्रोत्साहन राशि प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। राशि प्राप्त करने की प्रक्रिया 1. निःशक्त अभ्यर्थी को प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने हेतु अपने निवास के जिले के संयुक्त संचालक/उप संचालक, सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण को निर्धारित प्रारुप मे आवेदन प्रस्तुत करना होगा। 2. प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने हेतु परीक्षा परिणाम घोषित होने की तिथि से 30 दिवस के अन्दर आवेदन पत्र प्रस्तुत

छः वर्ष से अधिक आयु के बहुविकलांग और मानसिक रूप से अविकसित निःशक्तजन के लिए सहायता अनुदान योजना  

छः वर्ष से अधिक आयु के बहुविकलांग और मानसिक रूप से अविकसित निःशक्तजन के लिए सहायता अनुदान योजना   योजना कब से प्रारंभ की गई 18 जून 2009  पात्रता के मापदंड  छः वर्ष से अधिक आयु के बहुविकलांग एवं मानसिक रूप से अविकसित निःशक्त व्यक्ति। अर्हताएं o मध्यप्रदेश के निवासी हो। o 40 प्रतिशत या अधिक निःशक्तता का प्रमाण पत्र। o समग्र पोर्टल पर नाम अंकित हो।  सहायता रू. 500/- प्रतिमाह सहायता प्राप्त करने की प्रक्रिया निर्धारित आवेदन पत्र में आवेदन ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत/ जनपद पंचायत, शहरी क्षेत्र में नगर निगम/ नगर पालिका/ नगर परिषद के कार्यालय या संयुक्त संचालक/उप संचालक सामाजिक न्याय में निम्नांकित अभिलेखों के साथ आवेदन करें:- 1. 40 प्रतिशत से या अधिक निःशक्तता का प्रमाण पत्र जिसमें मानसिक रूप से विकलांग होने का प्रमाण दिया गया हों। 2. आयु प्रमाण पत्र। स्वीकृति हेतु पदाविहित अधिकारी - संयुक्त संचालक/उप संचालक, सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण समय सीमा - 60 कार्यदिवस

मुख्यमंत्री निःशक्त शिक्षा प्रोत्साहन योजना

मुख्यमंत्री निःशक्त शिक्षा प्रोत्साहन योजना योजना कब से प्रारंभ की गई 20 जून 2013 योजना का उद्देश्य  o निःशक्त विद्यार्थियों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करना। o निःशक्त विद्यार्थी जो दोनो पैरों से चलने में सक्षम नहीं है (अस्थिबाधित) उनकी पहुंच शैक्षणिक संस्थाओं तक बाधारहित/सुगम बनाना। o दृष्टिबाधित/श्रवणबाधित विद्यार्थियों को अध्ययन हेतु सहायक उपकरण उपलब्ध कराना। o निःशक्त विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा उपलब्ध कराकर उनको आत्मनिर्भर बनाना। o समग्र पोर्टल पर नाम अंकित हों।    सहायता का स्वरूप नि:शक्तता की श्रेणीसामग्री का नामप्रथम बारद्वितीयबारमंदबुद्धिलेपटाप10 वी मे प्रथम बार प्रवेश लेने पर एक बार हीस्नातक / पोलिटेक्निक मे प्रवेश लेने परद्रष्टिबाधितलेपटाप10 वी मे प्रथम बार प्रवेश लेने पर एक बार हीस्नातक / पोलिटेक्निक मे प्रवेश लेने परश्रवणबाधितलेपटाप10 वी मे प्रथम बार प्रवेश लेने पर एक बार हीस्नातक / पोलिटेक्निक मे प्रवेश लेने परअस्थिबाधित (दोनो हाथ न होने पर)लेपटाप10 वी मे प्रथम बार प्रवेश लेने पर एक बार हीस्नातक / पोलिटेक्निक मे प्रवेश लेने परअस्थिबाधित (दोनो पेरो से चलने म

निःशक्त विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा हेतु विदेश में अध्ययन छात्रवृत्ति योजना

निःशक्त विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा हेतु विदेश में अध्ययन छात्रवृत्ति योजना योजना कब से प्रारंभ की गई 12 अगस्त 2008 योजना का उद्देश्‍य  योजनांतर्गत 2-2 अस्थिबाधित, 2-2 श्रवण बाधित एवं 2-2 दृष्टि बाधित निःशक्त छात्र/छात्राओं अर्थात कुल 12 चयनित निःशक्त विद्यार्थियों को प्रतिवर्ष विदेश में विशिष्ट क्षेत्रों में स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रमों/शोध उपाधि (पीएचडी) एवं शोध उपाधि उपरांत शोध कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है। पात्रता के मापदंड 1. म.प्र. का मूल निवासी हो 2. 40 प्रतिशत से या अधिक निःशक्तता हो। 3. शोध उपाधि उपरांत अध्ययन हेतु - संबंधित स्नातकोत्तर परीक्षा में प्रथम श्रेणी अथवा 60 प्रतिशत अंक या उसके समतुल्य की श्रेणी (ग्रेड) एवं संबंधित क्षेत्र में अनुभव के साथ शोध उपाधि (पी.एच.डी.) 4. शोध उपाधि (पी.एच.डी.) हेतु - संबंधित स्नातकोत्तर परीक्षा में प्रथम श्रेणी अथवा 60 प्रतिशत अंक या उसके समतुल्य श्रेणी एवं संबंधित क्षेत्र में दो वर्षो का अध्यापन/शोध/व्यवसायिक अनुभव/एम. फिल. उपाधि 5. स्नाकोत्तर उपाधि हेतु- स्नातक उपाधि में प्रथम उपाधि में प्रथम

निःशक्त विद्यार्थियों हेतु छात्रगृह योजना

निःशक्त विद्यार्थियों हेतु छात्रगृह योजना योजना कब से प्रारंभ की गई 8 सितंबर 2008 योजना का उद्देश्‍य  योजना का उद्देश्य ऐसे निःशक्त छात्र/छात्राऐं जो कक्षा 11वीं और उससे ऊपर की कक्षाओं में नियमित रूप से प्रवेश लेने पर तथा जिन्हें विद्यालय/महाविद्यालयों में छात्रावास की सुविधा उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में निजी भवन किराये पर लेकर छात्रों को उपलब्ध कराया करना। छात्रगृह का संचालन  o कक्षा 11 वी तथा उससे ऊपर के निःशक्त छात्र/छात्राओं को प्रवेश o बालक एवं बालिकाओं के लिये छात्रगृह पृथक-पृथक भवनों में होगा। o छात्रगृह की स्थापना शासकीय अथवा किराये पर भवन किया जा सकता है जिसका किराया प्रतिमाह 750/- देय होगा। o सक्षम स्वीकृति हेतु जिला अधिकारी सामाजिक न्याय अधिकृत होगे। o छात्रगृह किराया रुपये 1500/- हेतु सक्षम स्वीकृति जिला कलेक्टर से प्राप्त की जाना होगी। छात्रों को क्या देना होगा  छात्रगृह में बिजली तथा पानी पर होने वाले व्यय प्रति छात्रगृह रुपयें 1000/- का खर्च शासन की ओर से वहन किया जायेगा। यदि इससे अधिक व्यय होता है तो अतिरिक्त राशि का वहन छात्र/छात्राओं को करना होगा। पात्रत

निःशक्त विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति, दृष्टिबाधितों को वाचक भत्ता और उत्कृष्ट विद्यार्थियों को प्रोत्साहन राशि 

निःशक्त विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति, दृष्टिबाधितों को वाचक भत्ता और उत्कृष्ट विद्यार्थियों को प्रोत्साहन राशि  छात्रवृत्ति, वाचक भत्ता, प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने के लिये निम्नानुसार पात्रता की शर्ते रहेंगी                                        1.             विद्यार्थी मध्यप्रदेश का निवासी हो तथा शासकीय अथवा मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्था में नियमित रुप से अध्ययनरत हो। 2.             40 प्रतिशत या इससे अधिक निःशक्तता वाले विद्यार्थी जिनको चिकित्सक द्वारा प्रमाण पत्र जारी किया गया हो। 3.             उत्कृष्ट विद्यार्थियों को प्रोत्साहन राशि शासकीय स्कूलों में नियमित परीक्षार्थी के रूप में बोर्ड की परीक्षा में 60 प्रतिशत या  अधिक अंक प्राप्त किये हों । निःशक्त (विद्यार्थियों) को छात्रवृत्ति दरें क्र. स्कूल का स्तर कक्षा दर दस माह हेतु 1 प्राथमिक एवं मिडिल स्तर 1 से 8 तक रू0 50/- रू0 500/- 2 माध्यमिक/उच्चतर माध्यमिक स्तर/ आईटीआई 9 से 12 तक रू0 100/- रू0 1000/- 3 स्नातक/ स्नातकोत्तर/ पोलिटेक्नीक सभी संकाय को एक समान सभी संकाय को एक समान रू0 200/- रू0 2000/-

दिल के छाले तुम्हें दिखा रहा हूं हो सके तो मरहम लगाना ।नमक से तो पहले भी छटपटा रहा हूं।

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दिल के छाले तुम्हें दिखा रहा हूं हो सके तो मरहम लगाना ।नमक से तो पहले भी छटपटा रहा हूं। इंसान होकर भी उन्होंने इंसान न माना मुझे। विज्ञान कहता है इंसान बंदर का रिश्तेदार है मगर उन्होंने बंदर भी न माना मुझे।। मानव समाज से दूर एक व्यथित, कुंठित और बंदर नुमा शक्ल वाला जीव है।जिसे कोई लोग दिव्यांग करते हैं। कोई विकलांग करते हैं। कोई अपंग तो कोई निशक्त। अनेक नामों से पुकारे जाने वाला यह प्राणी। आज अपेक्षा की काबिल नहीं उपेक्षा के काबिल समझा जाता है ।क्या यह इंसान नहीं है जब जानवरों के प्रति करुणा का भाव आ सकता है ।दया का भाव सकता है। समानता का भाव आ सकता है। सहयोग का भाव आ सकता है। प्रोत्साहन का भाव आ सकता है तो इस दिव्यांग वर्ग के प्रति क्यों नहीं। शर्म आती है मुझे जब मैं इस समाज को देखता हूं जो अपने आप को पूर्ण व्यक्तित्व कहता है। विकलांग की जीवन की अधिकांश समस्याओं की ओर हमने अभी तक ध्यान नही दिया है।अपने सामाजिक परिसर में हम जिन्हें विकलांग कहते है, उनके प्रति उपेक्षा और घृणा से मिश्रित दयाभाव का ही हमारे भीतर सृजन होता है।हम भूल जाते है कि महाराज विदेह जनक की सभा मे अष्टावक्र की अ

सम्मान कर्मवान को मिलता है चित्रवान को नही.

सम्मान कर्मवान को मिलता है चित्रवान को नहीं एक सभ्रांत प्रतीत होने वाली अतीव सुन्दरी ने विमान में प्रवेश किया और अपनी सीट की तलाश में नजरें घुमाईं । उसने देखा कि उसकी सीट एक ऐसे व्यक्ति के बगल में है जो जिसके दोनों ही हाथ नहीं है। महिला को उस अपाहिज व्यक्ति के पास बैठने में झिझक हुई ! उस 'सुंदर' महिला ने एयरहोस्टेस को कहा कि वह उसके लिए नियत सीट पर सुविधापूर्वक यात्रा नहीं कर पायेगी, क्योंकि साथ की सीट पर एक दोनों हाथ विहीन व्यक्ति बैठा हुआ है | उस सुन्दरी ने एयरहोस्टेस से सीट बदलने हेतु आग्रह किया | असहज हुई एयरहोस्टेस ने पूछा, "मैम क्या मुझे कारण बता सकती है"? 'सुंदर' महिला ने जवाब दिया: "मैं ऐसे लोगों को पसंद नहीं करती। मैं ऐसे व्यक्ति के पास बैठकर यात्रा नहीं कर पाउंगी "। दिखने में सभ्रांत और विनम्र प्रतीत होने वाली महिला के यह उद्गार सुनकर एयर हॉस्टेज़ अचंभित हो गई । सुन्दरी ने एक बार फिर एयरहोस्टेस से जोर देकर कहा कि मैं उस सीट पर नहीं बैठ सकती और मुझे कोई दूसरी सीट दे दी जाए । एयरहोस्टेस ने खाली सीट की तलाश में चारों ओर नजर घुमाई, पर क

दिव्यांग तृतीय और चतुर्थ श्रेणी शासकीय सेवकों के परिवहन भत्ते में संशोधन

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दिव्यांग तृतीय और चतुर्थ श्रेणी शासकीय सेवकों के परिवहन भत्ते में संशोधन.   राज्य शासन द्वारा दिव्यांग तृतीय और चतुर्थ श्रेणी शासकीय सेवकों के परिवहन भत्ते में संशोधन किया गया है। अब यह परिवहन भत्ता 150 रूपये के स्थान पर 350 रूपये प्रतिमाह की दर से निर्धारित शर्तों के आधार पर प्रदान किया जायेगा। सभी नगरीय निकायों के मुख्य नगरपालिका अधिकारियों और सभी जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को राज्य शासन के प्रावधानों से सभी दिव्यांगों को अवगत कराने और समुचित कार्यवाही करने के निर्देश दिये हैं।